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'गुमनाम' कलम से ... (2).png

"राष्ट्र वीरों को वन्दना" 

लहू नहीं मामूली, यह तो खून है वीर जवानों का।

देश की ख़ातिर मरने वाले देश भक्त दीवानों का।

आंधी और तूफान की मानिन्द उठते धूम मचाते हैं।

जब भारत के वीर सिपाही, दुशमन पर छा जाते हैं।

उनकी जद में आने वाले, मारे डर के मर जाते हैं।

वतन पे कब्जा करने वाले, अपनी मौत बुलाते हैं।

बुज़दिल, कायर शत्रु इनके आगे ठहर ना पाते हैं।

बारश, गरमी, सरद बर्फ से, कभी नहीं घबराते हैं।

धधक रहे अंगारों पर भी, हर दम कदम बढ़ाते हैं।

छेड़ छाड़ जो करता दुशमन, उस को सबक सिखाते हैं।

मार मार कर, पार देश के कोसोंदूर भगाते हैं।

अपने घर में बैठे शत्रु कांप रहे थर्राते हैं।

खेल खेल में टाईगर हिल के ऊपर तक चढ़ जाते हैं।

अहसान रहेगा देश के ऊपर, इनके बल बलिदानों का।

लहू नहीं मामूल, यह तो खून है वीर जवानों का।

देश की खातिर मरने वाले, देश भक्त दीवानों का।

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सत्तावन के जांबाजों की धड़कन, दिल का अरमान हो तुम।

सरहददों पर लड़ते भिड़ते हो जाते कुर्बान हो तुम।

इस धरती को नाज है तुम पर, भारत मां की जान हो तुम।

विरिमल, भक्त, शेखर, के सपने, और उन के अरमान हो तुम।

सुभाष, लाजपत, गांधी पटेल के वरदानों की शान हो तुम।

शेर बहादुर राणा प्रताप की पैनी चमकीली किरपान हो तुम।

वीर शिवा के राष्ट्र प्रेम की, लासानी पहचान हो तुम।

दीवारों में जिन्दा चिन गई गुरू गोबिन्द की सन्तान हो तुम।

हर इक देश का वासी कहता, देश का गौरव मान हो तुम।

सोच नहीं सकती मानवता, कितने वीर महान हो तुम।

अपनी कुर्बानी से वाकिफ़ हो कर भी गुमनाम हो तुम।

तुमने पूर्ण कर्ज चुकाया इन सब के बलिदानों का।

लहू नहीं मामूली यह तो खून है वीर जवानों का।

देश की खातिर मरने वाले, कार्गल के बलवानों का।

देश के वीरो देश पे तुम ने बहुत बड़ा अहसान किया है।

देश की ख़ातिर खुशी खुशी से, जीवन को बलिदान किया है।

सर के बल है भागा शत्रु जन जन को हैरान किया है।

तुम्हारी सच्चाई को अब, कुल दुनिया ने जान लिया है।

सेवा भाव से देश का तुम ने हर क्षण हर पल काम किया है।

वीर सेनानी! भारत मांपर, तन मन धन कुर्बान किया है।

बर्फानी चट्टाने बतलाती तुम ने जो जो काम किया है।

शत्रु का सर नीचा कर के देश का ऊँचा नाम किया है।

फिर ना आंख उठाये दुशमन उस का काम तमाम किया है।

राष्ट्रधरा पर खून बहाया तुम ने अपने अरमानों का।

लहू नहीं मामूल यह तो खून है वीर जवानों का।

देश की खातिर मरने वाले, कार्गिल के बलवानों का।

साथ मिला कर कन्धे से कन्धा, देश तुम्हारे साथ खड़ा है।

तुमने शत्रु मार गिराया, हमने कबरों बीच गढ़ा है।

सरहद पर तुम पहरा रखते, खेतों में दहकान खड़ा है।

देश के उद्यमी उद्योगों ने, तैयार किया सामान बड़ा है।

सबने मिल जूल देश बचाना ऐसा इक विश्वास बड़ा है।

देश का सैनिक अग्रिम पक्ति, पीछे सारा देश खड़ा है।

गुमनाम करेगा ज़िक्र सभी से कार्गिल के अफ़सानों का।

लहु नहीं मामूली यह तो खून है वीर जवानों का।

कर्गिल पर लड़ मरने वाले देश भक्त दीवानों का।

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